Thursday, January 13, 2011

लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में

लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में
किसकी बनी है आलम-ए-ना-पायदार में

कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दागदार में

उम्र-ए-दराज़ माँग के लाए थे चार दिन
दो आरजू में कट गए, दो इंतज़ार में

कितना है बदनसीब ज़फर दफ़न के लिए
दो गज ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में

बहादुर शाह ज़फर

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