Friday, August 10, 2007

मैं कौन हूं-1

आईए आज मैं आपको अपने बारे में ही कुछ बताता हूं। करीब चौंतीस साल पहले अट्ठाईस जुलाई को लौहनगरी के नाम से जाना जाने वाले शहर जमशेदपुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म हुआ था। पिता सूर्य देव सिंह टेल्को में काम करते थे। परिवार में दूसरे बच्चे के रुप में लडके को पाकर माता-पिता की खुशी की सीमा नहीं रही थी। अमूमन हर परिवार की तरह यहां भी बधाईयां गाई गई। पंडितों ने बताया कि बालक बडा होकर काफी नाम करेगा। पिता का वेतन कम होने के कारण बचपन से ही अभाव में जीना पडा। तीन भाईयों सहित पूरे परिवार का पालन करने में काफी कठिनाई का सामना करना पडता था। ऐसे में अभाव की आदत पड गई थी। बचपन से ही पढने में अव्वल रहने के कारण घर में सबका लाडला भी था। आठवीं क्लास तक तो सबकुछ ठीक चलता रहा और मैं अव्वल आता रहा मगर नवीं में आकर गलत संगत में पड गया और परिणाम खिसककर सांतवें स्थान पर चला गया। दसवीं में यह खिसककर चौदहवें पर चला गया। बोर्ड की परीक्षा में दूसरा स्थान पर आने से पिता के सपनों को आघात लगा। इंटरमीडिएट में घर वालों की इच्छा थी कि साईंस पढूं मगर अपनी रूचि के कारण आर्ट में प्रवेश लिया। अब तक संगति इतनी बिगड चुकी थी कि दिनभर पढाई की बजाय घर से बाहर रहने में मजा आता था। नतीजा हुआ कि इंटरमीडिएट किसी तरह पास कर सका।

शेष कल

Thursday, August 9, 2007

हाय तेरा क्या होगा पाकिस्तान

चिट्ठाजगत
पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ साहब को आजकल नया सुर चढा है। वो आजकल हर जगह एक ही राग अलापते नजर आते हैं कि इमरजेंसी लगाना है। दरअसल पिछले दिनों लाल मसि्जद पर हमले और चौधरी इफ्तखार खां के निलंबन के बाद उनके देश की जनता ही उनके विरोध में हो गई थी। इसके बाद अमेरिका का दबाब बढने के बाद उनकी हालत और पतली हो गई थी। उनके लिए पद पर बने रहना कठिन हो गया था। इसका हल मुशर्रफ साहब ने नए तरीके से निकाला। उन्होंने पूर्व राजनयिक बेनजीर भुट्टो के साथ संपर्क बढाया और नए रणनीति के तहत देश में आपातकाल लगाने की बात करनी शुरु कर दी। अब राजनीतिक संकट के मुहाने पर खडा पाकिस्तान सोच रहा है कि हाय मेरा क्या होगा कौन दिलाएगा मुझे इससे मुक्ति।

कौन सुनेगा किसको सुनाऊं

आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई ऐसे मसले हैं जिनके सुलझते ही विश्व शांति की समस्या खुद-ब-खुद सुलझ जाएगी। आज मध्यपूर्व एक ऐसा हॉट केक बन गया है जिसे हर कोई पूरा का पूरा खाना चाहता है। विश्व का मुखिया कहलाने वाले अमेरिका की भी नजरें इस पर टिकी हुई है तभी तो इराक पर हमले के छह साल बीत जाने के बाद भी वो वहां से हटने का नाम नहीं ले रहा है। यही नहीं पूरे ‌मध्यपूर्व में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए वो तमाम तरह के हथकंडे भी अपना रहा है। ईरान पर जब उसका कोई हथियार नहीं चल सका तो बातचीत का रास्ता अपनाया। हाल ही में उसने सउदी अरब से हथियार संबंधी एक बडा सौदा किया है जिससे मध्यपूर्व में एक बाद फिर अशांति का खतरा पैदा हो गया है। आपको याद होगा कि सउदी वही देश है जिसने इराक संघर्ष के समय अमेरिका की जमकर आलोचना की थी। बाद में भी वो अमेरिकी हस्त‌‌‌क्षेप की सदैव आलोचना करता रहा। आज उसी के साथ सौदा किया गया है। हालांकि क्यूबा और वेनेजुएला के बाद ईरान तीसरा ऐसा देश बन गया है जिसने अमेरिका को आंखें दिखाई और वो कुछ नहीं कर पाया। हालांकि पूरी दुनिया आज जान गई है कि मध्यपूर्व में जारी हलचल के पीछे एकमात्र कारण तेल पर अपना प्रभुत्व जमाना है। तभी तो अमेरिका अपने हर कदम को सही ठहराता आया है।
मेरे ब्लागिंग की दुनिया के दोस्तों मेरे यहां आपका स्वागत है। दुनिया में पता नहीं क्या हो रहा है हर कोई या तो खुद को व्यस्त दिखाने की कोशिश कर रहा है या फिर सामने वाले को बता रहा है कि वह समाज या अपने आसपास के लिए कितना अहम है इसका परिणाम यह आ रहा है असमानता बढ रही है। योग्य आदमी पिछड रहा है और ऐसे लोग जिनके या तो रिश्तेदार या फिर परिचित ऊंचे जगहों पर बैठे हैं वे तेजी से तरक्की कर रहे हैं। मैं तमाम मित्रों से इस मसले पर विचार आमंत्रित करता हूं। उम्मीद करता हूं कि आप मेरे विचारों से सहमत होंगे और अपने विचार हमें भेजेंगे।