Friday, November 13, 2009

पति, पत्नी और किताब

ओमपुरी की पत्नी नंदिता ने अपने पति पर लिखी किताब में उनके बारे में अनेक अभद्र बातें लिखी हैं और उनके शयन कक्ष की अनेक घटनाओं का वर्णन किया है।
यह सब उन्होंने ओमपुरी के साथ रहते हुए, अपने सफल और अमीर पति के रुतबे और रुपयों का लाभ लेते हुए किया। आज ओमपुरी के पैरों से जीवन का आधार ही हट गया है। विगत ३५ वर्षो से फिल्म उद्योग में उनका किसी से कोई प्रेम प्रकरण नहीं हुआ और उनके सदाचार के गुण पूरा उद्योग गाता है।
मुद्दा यह नहीं है कि नंदिता का लिखा सच है या झूठ। मुद्दा यह है कि साथ रहते हुए क्या एक पत्नी द्वारा अपने पति का सार्वजनिक अपमान करना उचित है? प्राय: अलगाव या तलाक के बाद पत्नियां इस तरह की बातें करती हैं। इसके साथ यह मुद्दा भी जुड़ा है कि क्या बतौर एक लेखिका नंदिता के लिए सत्य की तलाश और अभिव्यक्ति से बड़ा कुछ नहीं है? हमारे आख्यानों में कथा है कि एक सच्चे संत ने पीछा करते हुए डाकुओं को छुपे हुए ग्रामीणों का पता बता दिया, क्योंकि सत्य बोलने के लिए वे शपथबद्ध थे, परंतु उन्हें इसी सत्य के लिए मोक्ष से वंचित किया गया, क्योंकि सत्य हमेशा मासूमों की रक्षा या सबके भले के लिए बोला जाता है। संत के ‘सत्य’ के कारण अनेक लोगों के प्राण चले गए। अब नंदिता पुरी का तथाकथित ‘सत्य’ उनके बेटे के जीवन पर क्या प्रभाव डालेगा? ओमपुरी अपने पुत्र से कैसे आंख मिलाएंगे? इस किताब से समाज को क्या लाभ मिलेगा?
यह किताब प्रकाशक और लेखिका को कुछ लाभ दिला सकती है और कुछ लोग इसे चटखारे लेकर पढ़ सकते हैं, परंतु यह सनसनी साहित्य नहीं है। अनेक लेखकों को ‘सत्यवादी’ होने का जुनून होता है और रहस्योद्घाटन का नशा भी होता है। कई वर्ष पूर्व एक ‘सत्यवादी’ पत्रकार ने कमला नामक आदिवासी महिला को, जो चंद रुपयों में बिकी थी, सरेआम प्रस्तुत करके वाहवाही लूटी थी। कमला का बाद में क्या हुआ, आज तक पता नहीं। सनसनी पैदा करने का नशा भी अत्यंत ताकतवर होता है।
ओमपुरी के साथ इन वर्षो के दौरान सैकड़ों लोगों ने काम किया है और उनके बारे में कभी किसी ने बुरा नहीं कहा। हाल ही मैंने ओमपुरी की पहली बड़ी सफलता ‘अर्धसत्य’ के फिल्मकार गोविंद निहलानी से बात की और उन्होंने कहा कि ओम पुरी सदाचारी व्यक्ति हैं।

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