Wednesday, July 30, 2008

आईना टूट गया

आईना सामने आया तो आईना टूट गया,
जिसने हमको बर्बाद किया उसी ने हमको लुट लिया।
रोते है जब याद उनकी हमें आती है।
आईना देखता हूं तो सूरते नजर उनकी हमें आती है।
भूले से कभी हमको नींद आ जाती है
खवाबो में नजर बरात उनकी हमें आती है।।
आईना सामने आया तो आईना टूट गया,
जिसने हमको बर्बाद किया उसी ने हमको लुट लिया।।
वफ़ा के नाम पर एक गुनाह उन्होंने ये भी किया,
सारी खुशियों को दामन में अपनी समेट लिया।
दे दिए गम ज़माने भर के उसने,
अपने साजन को गलिये में भटकने की लिए छोड़ दिया।।
आईना सामने आया तो आईना टूट गया,
जिसने हमको बर्बाद किया उसी ने हमको लुट लिया।
साभार योगेश गौतम
जिन्होंने हमको बर्बाद किया उसी ने हमको लूट लिया।
भूल हो गई क्या हमसे ये बता तो जरा,
यू ही हमें तद्पाने में हुम्हे तो आया मजा।
यारो तुम न करना कभी मोहब्बत।
इसमे रुसवाई है और अरमानो की जलती है चिता।
आईना सामने आया तो आईना टूट गया,
जिसने हमको बर्बाद किया उसी ने हमको लुट लिया।।
साभार योगेश गौतम

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

अपने मनो भावों को बखूबी प्रस्तुत किया है।सुन्दर!

संगीता पुरी said...

हिन्दी चिट्ठा.जगत में आपका स्वागत है। बहुत ही सुंदर कविता।

नियंत्रक । Admin said...
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