Wednesday, May 7, 2008

तुम मुझको पहचान न पाए
मैं राधा हूं, मैं सीता हूं, तुम मुझको पहचान न पाए,
मैं मुक्ता हूं, मैं मीरा हूं, तुम मुझको पहचान न पाए.
मैं झांसी हूं, मैं शक्ति हूं, तुम मुझको पहचान न पाए,
मैं देवी हूं, मैं भक्ति हूं, तुम मुझको पहचान न पाए.
मैं माता हूं, मैं बीवी हूं, तुम मुझको पहचान न पाए,
मैं बहना हूं, मैं बेटी हूं, तुम मुझको पहचान न पाए.
मेरी कोख से, तुम जनमे हो, तुम मुझको पहचान न पाए,
मेरे प्यार से, तुम महके हो, तुम मुझको पहचान न पाए.
मैं सुंदरता, की सूरत हूं, तुम मुझको पहचान न पाए,
मैं ममता की, इक मूरत हूं, तुम मुझको पहचान न पाए.
मैं चाहूं तो, तुझे बना दूं, तुम मुझको पहचान न पाए,
मैं चाहूं तो, तुझे मिटा दूं, तुम मुझको पहचान न पाए.
मैं चाहूं तो, घर सुंदर है, तुम मुझको पहचान न पाए,
मैं चाहूं तो, घर मंदिर है, तुम मुझको पहचान न पाए.
मुझसे ही ये, जग उन्नत है, तुम मुझको पहचान न पाए,
मुझसे ही ये, जग जन्नत है, तुम मुझको पहचान न पाए.
मैं रहमत हूं, मैं उल्फत हूं, तुम मुझको पहचान न पाए,
मैं कुदरत की, इक नेहमत हूं, तुम मुझको पहचान न पाए.
मुझको रिशियों, ने पूजा है, तुम मुझको पहचान न पाए,
मुझको मुनियों, ने पूजा है, तुम मुझको पहचान न पाए.
मैं ही प्रभुका, आधा अंग हूं, तुम मुझको पहचान न पाए,
मैं तो प्रभुके, सदा संग हूं, तुम मुझको पहचान न पाए.
अशोक कुमार वशिष्ठ

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