Thursday, August 9, 2007
कौन सुनेगा किसको सुनाऊं
आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई ऐसे मसले हैं जिनके सुलझते ही विश्व शांति की समस्या खुद-ब-खुद सुलझ जाएगी। आज मध्यपूर्व एक ऐसा हॉट केक बन गया है जिसे हर कोई पूरा का पूरा खाना चाहता है। विश्व का मुखिया कहलाने वाले अमेरिका की भी नजरें इस पर टिकी हुई है तभी तो इराक पर हमले के छह साल बीत जाने के बाद भी वो वहां से हटने का नाम नहीं ले रहा है। यही नहीं पूरे मध्यपूर्व में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए वो तमाम तरह के हथकंडे भी अपना रहा है। ईरान पर जब उसका कोई हथियार नहीं चल सका तो बातचीत का रास्ता अपनाया। हाल ही में उसने सउदी अरब से हथियार संबंधी एक बडा सौदा किया है जिससे मध्यपूर्व में एक बाद फिर अशांति का खतरा पैदा हो गया है। आपको याद होगा कि सउदी वही देश है जिसने इराक संघर्ष के समय अमेरिका की जमकर आलोचना की थी। बाद में भी वो अमेरिकी हस्तक्षेप की सदैव आलोचना करता रहा। आज उसी के साथ सौदा किया गया है। हालांकि क्यूबा और वेनेजुएला के बाद ईरान तीसरा ऐसा देश बन गया है जिसने अमेरिका को आंखें दिखाई और वो कुछ नहीं कर पाया। हालांकि पूरी दुनिया आज जान गई है कि मध्यपूर्व में जारी हलचल के पीछे एकमात्र कारण तेल पर अपना प्रभुत्व जमाना है। तभी तो अमेरिका अपने हर कदम को सही ठहराता आया है।
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