लंबी टांगें, मतलब अच्छी याददाश्त
वॉशिंगटन : लंबी टांगों वाली महिलाओं को खुश होने की एक और वजह मिल गई है, उन्हें अल्टशाइमर्ज होने की आशंका कम होती है। जॉन हॉपकिंग यूनिवर्सिटी, बाल्टीमोर के रिसर्चर्स के मुताबिक महिलाओं में टांगों की लंबाई के हर एक्स्ट्रा इंच के साथ इस रोग की आशंका में 16 फीसदी की कमी आती है। अल्टशाइमर्ज एक असाध्य रोग है जिसमें याददाश्त खोने के साथ-साथ दूसरी मानसिक बीमारियों के लक्षण उभरने लगते हैं। इस समय दुनिया भर में करीब दो करोड़ 40 लाख लोग इस रोग के शिकार हैं। इस रोग की शुरुआत में मामूली भूलने की आदतें सामने आती है। आमतौर पर इसे बढ़ती उम्र या तनाव का नतीजा समझा जाता है। बाद में भ्रम, गुस्सा, मूड में उतार-चढ़ाव, बोलने में दिक्कत और बड़े स्तर पर भूलने के लक्षण सामने आते हैं। अमेरिकी रिसर्चर्स ने 2,798 पुरुषों और महिलाओं को अपनी स्टडी में शामिल किया था। इसके नतीजों में सामने आया कि लंबी बांहों वाली महिलाओं की तुलना में छोटी बांहों वाली महिलाओं को अल्टशाइमर्ज होने की आशंका 50 फीसदी बढ़ जाती है। न्यूरॉलजी जर्नल में छपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों में केवल टांगों की लंबाई ही मायने रखती है। उनकी टांगों की हर एक एक्स्ट्रा इंच की लंबाई पर अल्टशाइमर्ज की आशंका में छह फीसदी की कमी आती है। रिसर्चर्स का मानना है कि छोटे हाथ-पैरों का संबंध बचपन में पोषण के अभाव से होता है। गौरतलब है कि पोषण का दिमाग के विकास में अहम रोल होता है। टीम लीडर टीना हुआंग का कहना है 'शरीर के अंगों की लंबाई को बचपन में मिलने वाले पोषण का संकेतक खास माना जाता है।'
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