क्या पता सोती भी है या नही,
जब मैं सोता,
वह जगी होती,
जब मैं जगता,
वहझाडू - पानी -सफाई कर,
फूंकनी ले,
चुल्हे के पडौस में बैठी होती,
कभी घट्टी पर,
कभी गौशाला में,
गुदडियों को सुई चुभोती,
ढिबरी में तेल भरउजाला करती,
दिन भर कुछ ना कुछ करती ही रहती,
मुझे बुखार आता,
दद्दू खटियां पर पडे रहते,
बाबा खांसते- खांसते दुहरा जाते....पर,
पर माँ कभी बीमार नही होती फ़िर भी.........फिर भी ना जाने जल्दी .....मर क्यूं जाती है ?
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