Monday, August 25, 2008

" आज फिर"

आज फिर ये दो अखीयाँ भर आयी है
आज फिर तेरी याद चली आयी है .
दिल ने कहा ताजा कर लें वो सारे गम
आज फिर हमने जख्मों की किताब उठाई है.
लबों ने चाहा कर लें खामोशी से बातें हम
आज फिर हमने अपनी तबीयत बेहलाई है.
नज़र मचल गई है एक दीदार को तेरेआज
फिर तेरी तस्वीर नज़र आयी है.
रहा नही वायदों और वफाओं का वजूद कोई,
आज फिर हर एक चोट उभर आयी है.
आज फिर ये दो अखीयाँ भर आयी है,
आज फिर तेरी याद चली आयी है .
आज फिर हमने चाहा करें टूट कर प्यार तुम्हे ,
आज फिर दिल म वही आग सुलग आयी है.
आज फिर ये दो अखीयाँ भर आयी है,
आज फिर तेरी याद चली आयी है .

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